Saturday, December 11, 2010

सपने हकीकत का प्रारुप होते है

मेरी आँखों के सामने, मेरे सारे सपने दम तोड़ते नज़र आते है,
कितना भी समझाऊ सपनो को, वो क्यू मुझसे रूठ जाते है।

सोचा था कि ज़िन्दगी के सारे सपने पूरे करूँगा,
पर एक सपना पूरा हुआ कि "सारे सपने" सपने ही रह गए।
मेरी आँखों के ............

सपनो कि इस दुनिया में सब कुछ इतना हसीन क्यू होता है,
इसीलिए कुछ बुरे सपने भी हमें हसीन नज़र आते है।

पर जिस समय ज़िन्दगी को वर्त्तमान से रूबरू होना था,
उस समय में खुद सपनो कि दुनिया में खोया था,
शायद इसीलिए मेरी आँखों के .........

अब सोच रहा हु कि बहुत हुआ,
अब कोई नया सपना नहीं देखूंगा,
और जो सपने पुराने है पहले उन्हें पूरा करूँगा।

पर "
जिस" सपने को पूरा करना है,
वह स्वयं अलग सपनो से जुड़ा है।

इसीलिए समझ गया हु, ज़िन्दगी यही है,
सपना नहीं हकीकत है,
अतः,
सपने को हकीकत में लाना है,
और यह बताना है कि,

मेरी आँखों के सामने मेरे सारे सपने बनते नज़र आते है
मेरी आँखों के सामने मेरे सारे सपने बनते नज़र आते
है
मेरी आँखों के सामने मेरे सारे सपने बनते नज़र आते
है।

No comments:

Post a Comment

Search This Blog